होम्योपैथी में है किडनी और थायरॉयड का बेस्‍ट ट्रीटमेंट, एक्‍सपर्ट से जानें कैसे


बदलते लाइफस्‍टाइल और गलत खान-पान के चलते गंभीर बीमारियों बहुत ही आम हो गई है। इन्‍हीं बीमारियों में से बहुत ही आम होने वाली बीमारियां किडनी और थायरॉयड की है। जी हां यह दोनों की बीमा‍रियां बढ़ती उम्र के लोगों को ही नहीं बल्‍कि कम उम्र के लोगों को भी अपना शिकार बना रही हैं और समय रहते इसका इलाज ना नहीं किया गया तो ये कई गंभीर बीमारियां का कारण बन सकती हैं। इससे बचने के लिए लोग तरह-तरह की दवाओं की खोज करते हैं। अगर आप भी ऐसी ही किसी बीमारी से परेशान हैं और इसके लिए सबसे बेस्‍ट मेडिकल ट्रीटमेंट की खोज कर रहे हैं तो हम आपको बात दें कि किडनी और थायरॉयड संबंधी बीमारियों को दूर करने के लिए होम्‍योपैथी ट्रीटमेंट बेहद फायदेमंद है। यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि यह बात एक अध्ययन की हालिया रिपोर्ट में साबित हुई है। अध्ययन पद्मश्री डॉक्‍टर कल्याण बनर्जी की अगुवाई में उनके दिल्ली स्थित क्लीनिक में किया गया था।



किडनी रोगों के लिए होम्योपैथी चिकित्सा है बेस्‍ट


डॉक्‍टर बनर्जी ने कहा कि किडनी की खराबी की जानकारी शुरुआत में होने और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से मरीजों का इलाज समय से शुरू होने से 50 फीसदी मरीजों का सफल इलाज हो सकता है और किडनी संबंधी तकलीफ से उनको निजात मिल सकती है। अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार, किडनी की खराबी के गंभीर रोग का इलाज आरंभ होने के बाद तीसरी बार क्लीनिक आने वाले किडनी के 50-58.3 प्रतिशत मरीजों में उनके सीरम यूरिया और क्रिएटिनिन के लेवल में सुधार पाया गया।



होम्योपैथी से थायरॉयड में भी आता है सुधार


वहीं, हाइपोथायरायडिज्म पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि इलाज आरंभ होने के बाद चौथी बार क्लीनिक आने वाले 35 प्रतिशत रोगियों में उनके सीरम थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन की रीडिंग में सुधार देखा गया। हाइपोथायरायडिज्म पर यह अध्ययन 2011-2015 के दौरान क्लीनिक में आए 2,083 मरीजों के रिकॉर्ड के आधार पर किया गया है। वहीं, किडनी संबंधी रोग पर अध्ययन 2018 और 2019 में एक महीने के अंतराल पर क्लीनिक आए किडनी खराब होने की गंभीर बीमारी से ग्रस्त 61 मरीजों के रिकॉर्ड के आधार पर किया गया है।


डॉक्‍टर की राय


डॉक्‍टर कल्याण बनर्जी क्लीनिक के फाउडर डॉक्‍टर कल्याण बनर्जी ने कहा, 'इस अध्ययन के शुरुआती अवलोकन काफी दिलचस्प हैं। हाइपोथायरायडिज्म पर अध्ययन के आंकड़ों से संकेत मिला है कि रोगियों को दी जाने वाली विशिष्ट होम्योपैथिक दवाएं थायरॉयड ग्‍लैंड के काम में सुधार के लिए असरदार हैं, जिससे थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन रीडिंग में कमी आई। यह हाइपोथायरायडिज्म के प्राकृतिक इतिहास की समझ के विपरीत है, जो बताता है कि इस बीमारी के बढ़ने को आमतौर पर कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। हाइपोथायरायडिज्म के एक तिहाई से अधिक मरीजों को होम्योपैथिक दवाओं से फायदा हो रहा है। भारत की 11 फीसदी आबादी हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित है, जिसके लिए होम्योपैथी इलाज असरदार हो सकती है।'



डॉक्‍टर कल्याण बनर्जी ने कहा, 'वर्तमान में उपलब्ध कोई भी उपचार सीरम यूरिया और क्रिएटिनिन रीडिंग में कमी करने में सक्षम नहीं है, जबकि हमारे अध्ययन की रीडिंग से यह निर्णय लेने में मदद मिलेगी कि डायलिसिस शुरू की जानी चाहिए या नहीं।'